बगिया में हजारो फूल खिले, एक फूल चमन से तोर लिया,
फिर फूल व् पत्ते पौधों ने, ऐसा मुझसे मुह मोर लिया,
हम छू न सके न देख सके, बस प्यार से उसको छोर दिया,
फिर फूल हजारो चमक उठे, बस मुझसे नाता तोर लिया!
बगिया में हजारो..........!
एक चाँद हजारो तारे थे, एक मैंने गगन से माँगा था,
जब तारे टिम- टिम चमक रहे, तब जुगनू को ललकारा था,
आया सूरज, देखा मुझको, तारे भी मुझसे छीन लिया,
फिर तारे सरे चमक उठे, बस मुझसे नाता तोर लिया!
बगिया में हजारो..........!
सावन के बरसते बादल से, एक बूंद गिरा मेरे घर में,
बादल ने उसको देख लिया, फिर गरज परा मेरे पर में ,
मैंने तो कहा तुम ले जाओ, फिर बूंद भी मुझसे छीन लिया,
फिर मेघ गगन में चमक उठे, बस
मुझसे नाता तोर लिया!
बगिया में हजारो..........!
अब एक झलक सबको देखा, न फूल रहा फूलों की तरह,
पत्ते पौधे सब दूर हुए, न बूंद रहा बूंदों की तरह,
बादल ने सबक सब सिख लिया, गरजों ने उसे झकझोर दिया,
सूरज ने सोचा रात हुई, फिर सबने नाता जोर लिया!
बगिया में हजारो फूल खिले, एक फूल चमन से तोर लिया!!
.....राघब....